वक्त / रात पश्मीने की / गुलज़ार

मैं उड़ते हुए पंछियों को डराता हुआ कुचलता हुआ घास की कलगियाँ गिराता हुआ गर्दनें इन दरख्तों की,छुपता हुआ जिनके पीछे से निकला चला जा रहा था वह सूरज तआकुब में था उसके मैं गिरफ्तार करने गया था उसे जो ले के मेरी उम्र का एक दिन भागता जा रहा था   वक्त की आँख… Continue reading वक्त / रात पश्मीने की / गुलज़ार

गुलज़ार की बोस्की /Gulzar Ki Boski

  बोस्की ब्याहने का समय अब करीब आने लगा है जिस्म से छूट रहा है कुछ कुछ रूह में डूब रहा है कुछ कुछ कुछ उदासी है,सुकूं भी सुबह का वक्त है पौ फटने का, या झुटपुटा शाम का है मालूम नहीं यूँ भी लगता है कि जो मोड़ भी अब आएगा वो किसी और… Continue reading गुलज़ार की बोस्की /Gulzar Ki Boski

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इमकान जानां / अहमद फ़राज़

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इमकान जानां याद क्या तुझ को दिलाएं तेरा पैमां जानां ab ke tajdiid-e-vafaa kaa nahii.n imkaa.N jaanaa.N yaad kyaa tujh ko dilaaye.N teraa paimaa.N jaanaa.N तजदीद, Tajdiid: Novation, Renewal, Resurgence वफ़ा, Vafaa: Fulfilling A Promise, Fulfillment, Fidelity, Faithful, Sincerity, Sufficiency इमकान, Imkaan: Possibility जानां, Janaan: Dear, Beloved पैमां, Paimaan: Promise,… Continue reading अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इमकान जानां / अहमद फ़राज़

नज़म उलझी हुई है सीने में

नज़म उलझी हुई है सीने में मिस्रें अटके हुए हैं होंठों पर उड़ाते फिरते हैं तितलियों की तरह लफ्ज़ कागज़ पे बैठे ही नहीं nazm ulajhii huii hai siine me.n misre aTake hue hai.n hoTho.n par u.Date-phirate hai.n titliyo.n kii tarah lafz kaaGaz pe baiThate hii nahii.n नज़म, Nazm: Arrangement, Ordain, Order, Poetry, Verse उलझना,… Continue reading नज़म उलझी हुई है सीने में

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किसी मौसम का झौंका था (Raincoat) by Gulzar

किसी मौसम का झौंका था जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है गये सावन में ये दीवारें यूँ सीली नहीं थीं न जाने इस दफ़ा क्यूँ इनमें सीलन आ गयी है दरारें पड़ गयी हैं और सीलन इस तरह बहती है जैसे ख़ुश्क रुख़सारों पे गीले आँसू चलते हों सघन सावन… Continue reading किसी मौसम का झौंका था (Raincoat) by Gulzar

सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की (त्रिवेणी )

गुलजार के लिखे में जो सबसे अधिक पसंद आता है वह है उनकी त्रिवेणी का अंदाज़ …चंद लफ्जों में खूबसूरती से बात कह जाना कोई आसान काम नही है ..उनके लिखे की समीक्षा करना भी आसान नहीं ..क्यों हर लफ्ज़ इन त्रिवेणी का लिखा अपनी बात अपने अंदाज़ से कहता है ….जैसे यह कुछ उनकी… Continue reading सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की (त्रिवेणी )

मुद्दतों बाद एक खत चला है मेरे नाम से

मुद्दतों बाद एक खत चला है मेरे नाम से, किसी ने पैगामे-ईश्‍क भेजा है मेरे नाम से। शायद चल पड़े सिलसिला खत भेजने का, आज पहला खत उसने भेजा है मेरे नाम से। लिखते हैं जब वो खत चांदनी रातों में, चांद उनके पहलू आता है मेरे नाम से। हमें तो आरजू थी खतों के… Continue reading मुद्दतों बाद एक खत चला है मेरे नाम से

Salok Guru Nanak Dev Ji in Hindi

सलोक गुरू नानक देव जी 1. कुदरति करि कै वसिआ सोइ कुदरति करि कै वसिआ सोइ ॥ वखतु वीचारे सु बंदा होइ ॥ कुदरति है कीमति नही पाइ ॥ जा कीमति पाइ त कही न जाइ ॥ सरै सरीअति करहि बीचारु ॥ बिनु बूझे कैसे पावहि पारु ॥ सिदकु करि सिजदा मनु करि मखसूदु ॥… Continue reading Salok Guru Nanak Dev Ji in Hindi

Shabad Guru Nanak Dev Ji in Hindi

शब्द गुरू नानक देव जी 1. हुकमी होवनि आकार हुकमु न कहिआ जाई हुकमी होवनि आकार हुकमु न कहिआ जाई ॥ हुकमी होवनि जीअ हुकमि मिलै वडिआई ॥ हुकमी उतमु नीचु हुकमि लिखि दुख सुख पाईअहि ॥ इकना हुकमी बखसीस इकि हुकमी सदा भवाईअहि ॥ हुकमै अंदरि सभु को बाहरि हुकम न कोइ ॥ नानक… Continue reading Shabad Guru Nanak Dev Ji in Hindi

Japuji Sahib Guru Nanak Dev Ji जपु गुरू नानक देव जी

जपु गुरू नानक देव जी ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि ॥ जपु आदि सचु जुगादि सचु ॥ है भी सचु नानक होसी भी सचु ॥१॥ सोचै सोचि न होवई जे सोची लख वार ॥ चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिव तार ॥ भुखिआ भुख न… Continue reading Japuji Sahib Guru Nanak Dev Ji जपु गुरू नानक देव जी