किसी मौसम का झौंका था (Raincoat) by Gulzar

किसी मौसम का झौंका था जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है गये सावन में ये दीवारें यूँ सीली नहीं थीं न जाने इस दफ़ा क्यूँ इनमें सीलन आ गयी है दरारें पड़ गयी हैं और सीलन इस तरह बहती है जैसे ख़ुश्क रुख़सारों पे गीले आँसू चलते हों सघन सावन… Continue reading किसी मौसम का झौंका था (Raincoat) by Gulzar