अब्दुल हमीद ‘अदम‘

जन्म १९०९ में तलवंडी मूसा खाँ (पाकिस्तान ) || निधन १९६८ उन्होंने बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की और पाकिस्तान सरकार के ऑडिट एण्ड अकाउंट्स विभाग में ऊँचे ओहदे पर रहे।   1. सूरज की हर किरन तेरी सूरत पे वार दूँ दोजख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ इतनी सी है तसल्ली कि होगा मुक़ाबला दिल… Continue reading अब्दुल हमीद ‘अदम‘

अब्दुल हमीद आदम

1. आप अगर हमको मिल गये होते बाग़ में फूल खिल गये होते आप ने यूँ ही घूर कर देखा होंठ तो यूँ भी सिल गये होते काश हम आप इस तरह मिलते जैसे दो वक़्त मिल गये होते हमको अहल-ए-ख़िरद मिले ही नहीं वरना कुछ मुन्फ़ईल गये होते उसकी आँखें ही कज-नज़र थीं “आदम”… Continue reading अब्दुल हमीद आदम

अब्दुल मजीम ‘महश्‍र’

1. रूठ जाएँ तो क्या तमाशा हो हम मनाएँ तो क्या तमाशा हो काश वायदा यही जो हम करके भूल जाएँ तो क्या तमाशा हो तन पे पहने लिबास काग़ज़ सा वह नहाएँ तो क्या तमाशा हो चुपके चोरी की ये मुलाकातें रंग लाएँ तो क्या तमाशा हो अपने वादा पे वस्ल में ‘महशर’ वो… Continue reading अब्दुल मजीम ‘महश्‍र’

अब्दुल अहद ‘साज़’

1. मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना छोटी छोटी बातों में दिलचस्पी लेना जज़्बों के दो घूँट अक़ीदों[1] के दो लुक़मे[2] आगे सोच का सेहरा[3] है कुछ खा-पी लेना नर्म नज़र से छूना मंज़र की सख़्ती को तुन्द हवा से चेहरे की शादाबी[4] लेना आवाज़ों के शहर से बाबा! क्या मिलना है… Continue reading अब्दुल अहद ‘साज़’

अबू आरिफ

1. अज़्म मोहकम करके दिल में ये ही एक सहारा है दरिया हो या कि समन्दर सब का एक किनारा है दिल अपना इतना नाज़ुक था जिससे मिले हम सबके है अब सबके तकाज़े पूरे हुये तो कहने लगे बेचारा है इस गाँव की कच्ची गलियों में बचपन में हमारे साथ रहे अहदे जवानी में… Continue reading अबू आरिफ

अनूप कुमार

जन्म- 1 जनवरी 1956,सहायक लेखाधिकारी, मंडी परिषद, उ. प्र. लखनऊ   प्रकाशित कृतियाँ: ऑडियो कैसेट तूने अबतक समय गँवाया (टी सीरीज़ से) विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा आकाशवाणी से रचनाओं का प्रकाशन। 1. बड़ी मुश्किल-सी कोई बात भई आसान होती है अगर इंसानी फ़ितरत की हमें पहचान होती है हुजूमे-ग़म जो आ जाए हुजूमे-शाद हो ऐ दिल ग़मों से लड़… Continue reading अनूप कुमार

अनीस अंसारी

1. ज़र्द बादल मेरी धरती पर उतर जाने को है सब्ज़ रूत पाले की जद़ में ग़ालिबन आने को है इब्न-ए-मरियम को सलीबें पर चढ़ाने का जुननू इब्न-ए-आदम के लहू की धार रूलवाने को है इश्क़ की गहरी जड़ों को खाद पानी चाहिए पडे़ यह सब मौसमों में फल फूल लाने को है उड़ रही… Continue reading अनीस अंसारी

अनवर मसऊद

जो बारिशों में जले, तुंद आँधियों में जले चराग वो जो बगोलों की चिमनियों में जले वो लोग थे जो सराबे-नज़र के मतवाले तमाम उम्र सराबों के पानियों में जले कुछ इस तरह से लगी आग बादबानों को की डूबने को भी तरसे जो कश्तियों में जले यही है फैसला तेरा की जो तुझे चाहे… Continue reading अनवर मसऊद

अनवर जलालपुरी

1. उम्र भर जुल्फ-ए-मसाऐल यूँ ही सुलझाते रहे दुसरों के वास्ते हम खुद को उलझाते रहे हादसे उनके करीब आकर पलट जाते रहे अपनी चादर देखकर जो पाँव फैलाते रहे जब सबक़ सीखा तो सीखा दुश्मनों की बज़्म से दोस्तों में रहके अपने दिल को बहलाते रहे मुस्तक़िल चलते रहे जो मंज़िलोंसे जा मिले हम… Continue reading अनवर जलालपुरी

अनन्त कौर

1. तिरे ख़्याल के साँचे में ढलने वाली नहीं मैं ख़ुशबुओं की तरह अब बिखरने वाली नहीं तू मुझको मोम समझता है पर ये ध्यान रहे मैं एक शमा हूँ लेकिन पिघलने वाली नहीं तिरे लिये मैं ज़माने से लड़ तो सकती हूँ तिरी तलाश में घर से निकलने वाली नहीं मैं अपने वास्ते भी… Continue reading अनन्त कौर