झूठी मोहब्बत.. वफा के वादे.. साथ निभाने की कसमें.., कितना कुछ करते हैं लोग.. सिर्फ वक्त गुजारने के लिए जहर से ज्यादा # खतरनाक होती है मोहब्बत साला एक बार जो चख ले न तो वे मर मर के जीता है लगता है मैं भूल चुका हूँ मुस्कुराने का हुनर. कोशिश जब भी करता हूँ… Continue reading Heart touching Two line Sad Shayari in Hindi
Tag: Classic Hindi-Urdu Poetry
अमर ज्योति नदीम
शिक्षा: एम.ए. (अँग्रेज़ी), एम. ए. (हिंदी), पीएच.डी. (अँग्रेज़ी) आगरा विश्वविद्यालय) 1. पेट भरते हैं दाल-रोटी से। दिन गुज़रते हैं दाल-रोटी से। दाल- रोटी न हो तो जग सूना, जीते-मरते हैं दाल-रोटी से। इतने हथियार, इतने बम-गोले! कितना डरते हैं दाल-रोटी से! कैसे अचरज की बात है यारो! लोग मरते हैं दाल-रोटी से। जो न सदियों… Continue reading अमर ज्योति नदीम
अमज़द इस्लाम अमज़द
1. दरिया की हवा तेज़ थी, कश्ती थी पुरानी रोका तो बहुत दिल ने मगर एक न मानी मैं भीगती आँखों से उसे कैसे हटाऊ मुश्किल है बहुत अब्र में दीवार उठानी निकला था तुझे ढूंढ़ने इक हिज्र का तारा फिर उसके ताआकुब में गयी सारी जवानी कहने को नई बात हो तो सुनाए सौ… Continue reading अमज़द इस्लाम अमज़द
अभिज्ञात
जन्म – १९६२ गाँव कम्हरियां, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत। कविता संग्रह – एक अदहन हमारे अन्दर, भग्न नींड़ के आर पार, आवारा हवाओं के खिलाफ़ चुपचाप, वह हथेली, सरापत हूँ, वह दी हुई नींद। उपन्यास – अनचाहे दरवाज़े पर , जिसे खोजा (शीघ्र प्रकाश्य)। एकांकी – बुझ्झन। 1. दूर हम तुमसे जा नहीं सकते… Continue reading अभिज्ञात
अब्बास रज़ा अलवी
परिचय: फतेहगढ़ उत्तर प्रदेश में जन्मे अब्बास रज़ा अलवी ने फतेहगढ़, अलीगढ़ विश्वविद्यालय व मास्को में शिक्षा प्राप्त की। आजकल आस्ट्रेलिया के नागरिक अब्बास रज़ा अलवी सिडनी में आयात निर्यात का व्यवसाय कर रहे हैं। अस्ट्रेलिया में इंडिया चेम्बर आफ़ कामर्सके अध्यक्ष है। 1. फ़िसादो दर्द और दहशत में जीना मिला यह आदमी को आदमी सेबुरा… Continue reading अब्बास रज़ा अलवी
अब्बास अली “दाना”
1. जर्फसे बढके हो इतना नहीं मांगा जाता प्यास लगती है तो दरिया नहीं मांगा जाता चांद जैसी हो बेटी कीसी मुफलिसकी तो उंचे घरवालों से रिश्ता नहीं मांगा जाता अपने कमज़ोर बुज़ुर्गोंका सहारा मत लो सूखे पेडोंसे तो साया नहीं मांगा जाता है इबादत के लिये तो अकिदत शर्त दाना बंदगी के लिये सजदा… Continue reading अब्बास अली “दाना”
अब्दुल हमीद ‘अदम‘
जन्म १९०९ में तलवंडी मूसा खाँ (पाकिस्तान ) || निधन १९६८ उन्होंने बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की और पाकिस्तान सरकार के ऑडिट एण्ड अकाउंट्स विभाग में ऊँचे ओहदे पर रहे। 1. सूरज की हर किरन तेरी सूरत पे वार दूँ दोजख़ को चाहता हूँ कि जन्नत पे वार दूँ इतनी सी है तसल्ली कि होगा मुक़ाबला दिल… Continue reading अब्दुल हमीद ‘अदम‘
अब्दुल हमीद आदम
1. आप अगर हमको मिल गये होते बाग़ में फूल खिल गये होते आप ने यूँ ही घूर कर देखा होंठ तो यूँ भी सिल गये होते काश हम आप इस तरह मिलते जैसे दो वक़्त मिल गये होते हमको अहल-ए-ख़िरद मिले ही नहीं वरना कुछ मुन्फ़ईल गये होते उसकी आँखें ही कज-नज़र थीं “आदम”… Continue reading अब्दुल हमीद आदम
अब्दुल मजीम ‘महश्र’
1. रूठ जाएँ तो क्या तमाशा हो हम मनाएँ तो क्या तमाशा हो काश वायदा यही जो हम करके भूल जाएँ तो क्या तमाशा हो तन पे पहने लिबास काग़ज़ सा वह नहाएँ तो क्या तमाशा हो चुपके चोरी की ये मुलाकातें रंग लाएँ तो क्या तमाशा हो अपने वादा पे वस्ल में ‘महशर’ वो… Continue reading अब्दुल मजीम ‘महश्र’
अब्दुल अहद ‘साज़’
1. मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना छोटी छोटी बातों में दिलचस्पी लेना जज़्बों के दो घूँट अक़ीदों[1] के दो लुक़मे[2] आगे सोच का सेहरा[3] है कुछ खा-पी लेना नर्म नज़र से छूना मंज़र की सख़्ती को तुन्द हवा से चेहरे की शादाबी[4] लेना आवाज़ों के शहर से बाबा! क्या मिलना है… Continue reading अब्दुल अहद ‘साज़’