1.
तिरे ख़्याल के साँचे में ढलने वाली नहीं
मैं ख़ुशबुओं की तरह अब बिखरने वाली नहीं
तू मुझको मोम समझता है पर ये ध्यान रहे
मैं एक शमा हूँ लेकिन पिघलने वाली नहीं
तिरे लिये मैं ज़माने से लड़ तो सकती हूँ
तिरी तलाश में घर से निकलने वाली नहीं
मैं अपने वास्ते भी ज़िंदा रहना चाहती हूँ
सती हूँ पर मैं तेरे साथ जलने वाली नहीं
हरेक ग़म को मैं हँस कर ग़ुज़ार देती हूँ अब
कि ज़िंदगी की सज़ाओं से डरने वाली नहीं
2.
आईने ने सुना दी कहानी मिरी
याद मुझ को दिलाई जवानी मिरी
रुक गई धड़कनों की रवानी मिरी
काम आई मिरे बेज़बानी मिरी
बात इतनी भी कब उसने मानी मिरी
वो थी तस्वीर शायद पुरानी मिरी
अब मिरे साथ है रायगानी मिरी