अनवर जलालपुरी

1. उम्र भर जुल्फ-ए-मसाऐल यूँ ही सुलझाते रहे दुसरों के वास्ते हम खुद को उलझाते रहे हादसे उनके करीब आकर पलट जाते रहे अपनी चादर देखकर जो पाँव फैलाते रहे जब सबक़ सीखा तो सीखा दुश्मनों की बज़्म से दोस्तों में रहके अपने दिल को बहलाते रहे मुस्तक़िल चलते रहे जो मंज़िलोंसे जा मिले हम… Continue reading अनवर जलालपुरी