जो बारिशों में जले, तुंद आँधियों में जले चराग वो जो बगोलों की चिमनियों में जले वो लोग थे जो सराबे-नज़र के मतवाले तमाम उम्र सराबों के पानियों में जले कुछ इस तरह से लगी आग बादबानों को की डूबने को भी तरसे जो कश्तियों में जले यही है फैसला तेरा की जो तुझे चाहे… Continue reading अनवर मसऊद