अजमल नियाज़ी

हम अकेले ही सही शह्र में क्या रखते थे दिल में झांको तो कई शह्र बसा रखते थे अब किसे देखने बैठे हो लिए दर्द की ज़ौ उठ गए लोग जो आंखों में हया रखते थे इस तरह ताज़ा खुदाओं से पड़ा है पाला ये भी अब याद नहीं है कि खुदा रखते थे छीन… Continue reading अजमल नियाज़ी

अख्तरुल-ईमान

जन्म: 1915-निधन: 1995 1. (नज्म और गजलें) यही शाख तुम जिसके नीचे किसी के लिए चश्म-नम हो अब से कुछ साल पहले मुझे एक छोटी सी बच्ची मिली थी जिसे मैंने आगोश में ले के पूछा था, ‘बेटी यहाँ क्यों खड़ी रो रही हो ? मुझे अपने बोसीदा आँचल में फूलों के गहने दिखाकर वो कहने… Continue reading अख्तरुल-ईमान

अख्तर लखनवी

अब दर्द का सूरज कभी ढलता ही नहीं है। ये दिल किसी पहलू भी संभलता ही नहीं है। बे-चैन किए रहती है जिसकी तलबे-दीद अब बाम पे वो चाँद निकलता ही नहीं है। एक उम्र से दुनिया का है बस एक ही आलम ये क्या कि फलक रंग बदलता ही नहीं है । नाकाम रहा… Continue reading अख्तर लखनवी

अख्तर इमाम रिज़वी

अश्क जब दीदए-तर से निकला एक काँटा सा जिगर से निकला फिर न मैं रात गए तक लौटा डूबती शाम जो घर से निकला एक मैयत की तरह लागता था चाँद जब क़ैदे-सहर से निकला मुझको मंजिल भी न पहचान सकी मैं की जब गुर्दे-सफर से निकला हाय दुनिया ने उसे अश्क कहा खून जो… Continue reading अख्तर इमाम रिज़वी

अख़्तर-उल-ईमान

जन्म: 12 नवंबर 1915,निधन: 1996,कुछ प्रमुख कृतियाँ-तारीक सय्यारा (1943), गर्दयाब (1946), आबजू (1959), यादें (1961), बिंत-ए-लम्हात (1969), नया आहंग (1977), सार-ओ-सामान 1. आती नहीं कहीं से दिल-ए-ज़िन्दा की सदा सूने पड़े हैं कूचा-ओ-बाज़ार इश्क़ के [1] है शम-ए-अंजुमन का नया हुस्न-ए-जाँ गुदाज़[2] शायद नहीं रहे वो पतंगों के वलवले[3]  ताज़ा न रख सकेगी रिवायात-ए-दश्त-ओ-दर वो… Continue reading अख़्तर-उल-ईमान

अख़्तर नाज़्मी

1. कब लोगों ने अल्फ़ाज़ के पत्थर नहीं फेंके वो ख़त भी मगर मैंने जला कर नहीं फेंके ठहरे हुए पानी ने इशारा तो किया था कुछ सोच के खुद मैंने ही पत्थर नहीं फेंके इक तंज़ है कलियों का तबस्सुम भी मगर क्यों मैंने तो कभी फूल मसल कर नहीं फेंके वैसे तो इरादा… Continue reading अख़्तर नाज़्मी

अख़्तर अज़ीज़ के सौ शेर

127,  दोंदीपुर, इलाहाबाद – 211003 1. हर क़दम इक नई सी आहट है। कुछ नहीं, सिर्फ़ बौखलाहट है। 2. दिल में चिनगारियां चटकती हैं, मन की भट्टी में ताव कितना है। 3. सिफ़ खुशियां बटोरने वालो, दुःख भी रक्खा करो दुलार के साथ। 4. जब तेरे दिल को जीत लिया, तब सात समुन्दर पार हुए।… Continue reading अख़्तर अज़ीज़ के सौ शेर

अख़्तर अंसारी

 (जन्म : ०१ अक्टूबर १९०९ ,बदायूँ ,पाकिस्तान) 1. इत्तफ़ाक़ से रस्ते में मिल गया था मुझे मैं देखता था उसे और वो देखता था मुझे अगरचे उसकी नज़र में थी न आशनाई मैं जानता हूँ कि बरसों से जानता था मुझे तलाश कर न सका फिर मुझे वहाँ जाकर ग़लत समझ के जहाँ उसने खो… Continue reading अख़्तर अंसारी

अकबर इलाहाबादी

1. दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला बुत के बन्दे तो मिले अल्लाह का बन्दा न मिला बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने कर दिया काबे को गुम… Continue reading अकबर इलाहाबादी

अंबर बहराइची

1. सात रंगों की धनक यों भी सजा कर देखना मेरी परछाई ख़यालों में बसा कर देखना आसमानों में ज़मीं के चाँद तारे फेंक कर मौसमों को अपनी मुट्ठी में छिपा कर देखना फ़ासलों की कैद से धुंधला इशारा ही सही बादलों की ओट से आँसू गिरा कर देखना लौट कर वहशी जज़ीरों से मैं… Continue reading अंबर बहराइची