अजमल नियाज़ी

हम अकेले ही सही शह्र में क्या रखते थे दिल में झांको तो कई शह्र बसा रखते थे अब किसे देखने बैठे हो लिए दर्द की ज़ौ उठ गए लोग जो आंखों में हया रखते थे इस तरह ताज़ा खुदाओं से पड़ा है पाला ये भी अब याद नहीं है कि खुदा रखते थे छीन… Continue reading अजमल नियाज़ी