अकबर इलाहाबादी

1. दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला बुत के बन्दे तो मिले अल्लाह का बन्दा न मिला बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने कर दिया काबे को गुम… Continue reading अकबर इलाहाबादी