ਜਪੁ ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ (ੴ ਦਾ ਉੱਚਾਰਨ ਹੈ ” ਇਕ (ਏਕ) ਓਅੰਕਾਰ” ਅਤੇ ਇਸਦਾ ਅਰਥ ਹੈ “ਇਕ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ, ਜੋ ਇਕ-ਰਸ ਵਿਆਪਕ ਹੈ”, ਸਤਿਨਾਮੁ=ਉਹ ਇਕ ਓਅੰਕਾਰ, ਜਿਸ ਦਾ ਨਾਮ ਹੈ ਹੋਂਦ ਵਾਲਾ, ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ=ਜੋ ਸਾਰੇ ਜਗਤ ਵਿਚ ਵਿਆਪਕ ਹੈ, ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ=ਕਾਲ ਰਹਿਤ ਸਰੂਪ, ਅਜੂਨੀ=… Continue reading Japu Guru Nanak Dev Ji / ਜਪੁ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ
ज़ाकिर भी लिखूं तो जिक़्र उन्ही का आता है
ज़ाकिर1 भी लिखूं तो जिक़्र उन्ही का आता है खुदा में भी हमें बस नजर वो आता है अब इबादत भी उनको याद करने से होती है उनकी गली से गुजरना ज़ियारत2 हो जाता है मायने: ज़ाकिर: भगवान् की प्रशंसा की कविता ज़ियारत: तीर्थयात्रा एक अरसे से उनसे नजर नहीं मिली जमाना गुजर गया… Continue reading ज़ाकिर भी लिखूं तो जिक़्र उन्ही का आता है
वो भी शायद रो पडे वीरान काग़ज़ देख कर….
वो भी शायद रो पडे वीरान काग़ज़ देख कर मैंने उस को आखिरी खत में लिख़ा कुछ भी नहीं मजंमून सूझते हैं हज़ारों नए नए क़ासिद ये ख़त नहीं मिरे ग़म की किताब है पहली बार वो ख़त लिक्ख़ा था जिस का जवाब भी आ सकता था तिरा ख़त आने से दिल को मेरे आराम… Continue reading वो भी शायद रो पडे वीरान काग़ज़ देख कर….
Khat Shayari: अंधेरा है कैसे तिरा खत पढ़ूं, लिफ़ाफ़े में जरा रोशनी भेज दे
कासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूं मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जावाब में कैसे मानें कि उन्हे भूल गया तू ऐ ‘कैफ़’ उअन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज्तिराब में उन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में अपना खत आप… Continue reading Khat Shayari: अंधेरा है कैसे तिरा खत पढ़ूं, लिफ़ाफ़े में जरा रोशनी भेज दे
Khat…tere naam!
तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं / अहमद फ़राज़
क्यूँ तबीअत कहीं ठहरती नहीं दोस्ती तो उदास करती नहीं हम हमेशा के सैर-चश्म सही तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं शब-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह कट तो जाती है पर गुज़रती नहीं ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन! इतनी आसानियों से मरती नहीं जिस तरह तुम गुजारते हो फ़राज़ जिंदगी उस तरह गुज़रती… Continue reading तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं / अहमद फ़राज़
सच / रामभरत पासी
भूख की बगल में दबी-छटपटाती आत्मा को धीरे-धीरे शरीर से अलग होते देखा है कभी? या देखा है उन्हें भी जो गढ़ते हैं शकुनि के पाँसे— निर्विकार भाव से तुम चाहे जो कह लो चाहे जिस नाम से करके महिमामंडित बैठा दो आसमान पर लेकिन इतना जान लो कि उनकी नग्नता को नहीं छुपा पाएँगे… Continue reading सच / रामभरत पासी
समय रहते / रामभरत पासी
समय रहते दबा दो मिट्टी में गहरे उन सड़ी-गली परम्पराओं को बदबू फैलाने से पहले किसी लाश की तरह क्योंकि फिर नहीं झुठला पाओगे तुम पानी और रेत से भरी बाल्टी पर लिखे ‘आग’ जैसे अपने दामन पर लगे बदनुमां धब्बे को।
समानान्तर इतिहास / नीरा परमार
इतिहास राजपथ का होता है पगडंडियों का नहीं! सभ्यताएँ / बनती हैं इतिहास और सभ्य / इतिहास पुरुष! समय उस बेनाम क़दमों का क़ायल नहीं जो अनजान दर्रों जंगलों कछारों पर पगडंडियों की आदिम लिपि— रचते हैं ये कीचड़-सने कंकड़-पत्थर से लहूलुहान बोझिल थके क़दम अन्त तक क़दम ही रहते हैं उन अग्रगामी पूजित चरणों… Continue reading समानान्तर इतिहास / नीरा परमार
सलाह / निशांत
वह हरिजन था उसने मन्दिर में प्रवेश करने की कोशिश की और तुमने उसे क़त्ल कर दिया वैसे इसकी ज़रा भी ज़रुरत नहीं थी तुम उसे विज्ञान और नये ज्ञान का रास्ता दिखा देते या किसी नास्तिक से मिलवा देते!