मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे… Continue reading मधुशाला – हरिवंशराय बच्चन
Category: Hindi-Urdu Poetry
रूह देखी है ,कभी रूह को महसूस किया है ?
गुलजार का लेखन क्यूँ इतना दिल के करीब लगता है ..क्यूंकि वह आम भाषा में लिखा होता है ..रूह से लिखा हुआ ..उनकी लिखी एक नज्म कितना कुछ कह जाती हैं … रूह देखी है कभी रूह को महसूस किया है ? जागते जीते हुए दुधिया कोहरे से लिपट कर साँस लेते हुए इस कोहरे… Continue reading रूह देखी है ,कभी रूह को महसूस किया है ?
गुलज़ार की बेहतरीन नज़्में | Gulzar Poetry
नज़्म उलझी हुई है सीने में मिसरे अटके हुए हैं होठों पर उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा बस तेरा नाम ही मुकम्मल है इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी बारिश आती है तो पानी को… Continue reading गुलज़ार की बेहतरीन नज़्में | Gulzar Poetry
Abhi zameer mein thodi si jaan baqi hai: Javed Akhtar
तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बस खर्च करने की तमन्ना है !
जिंदगी की भागम भाग और रोजी रोटी की चिंता में न जाने कितने पल यूँ ही बीत जाते हैं …अपनों का साथ जब कम मिल पाता है तो दिल में उदासी का आलम छा जाता है ..और तब याद आ जाता है वह गाना दिल ढूढता है फ़िर वही फुर्सत के रात… Continue reading तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बस खर्च करने की तमन्ना है !
अमर ज्योति नदीम
शिक्षा: एम.ए. (अँग्रेज़ी), एम. ए. (हिंदी), पीएच.डी. (अँग्रेज़ी) आगरा विश्वविद्यालय) 1. पेट भरते हैं दाल-रोटी से। दिन गुज़रते हैं दाल-रोटी से। दाल- रोटी न हो तो जग सूना, जीते-मरते हैं दाल-रोटी से। इतने हथियार, इतने बम-गोले! कितना डरते हैं दाल-रोटी से! कैसे अचरज की बात है यारो! लोग मरते हैं दाल-रोटी से। जो न सदियों… Continue reading अमर ज्योति नदीम
अमज़द इस्लाम अमज़द
1. दरिया की हवा तेज़ थी, कश्ती थी पुरानी रोका तो बहुत दिल ने मगर एक न मानी मैं भीगती आँखों से उसे कैसे हटाऊ मुश्किल है बहुत अब्र में दीवार उठानी निकला था तुझे ढूंढ़ने इक हिज्र का तारा फिर उसके ताआकुब में गयी सारी जवानी कहने को नई बात हो तो सुनाए सौ… Continue reading अमज़द इस्लाम अमज़द
अभिज्ञात
जन्म – १९६२ गाँव कम्हरियां, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत। कविता संग्रह – एक अदहन हमारे अन्दर, भग्न नींड़ के आर पार, आवारा हवाओं के खिलाफ़ चुपचाप, वह हथेली, सरापत हूँ, वह दी हुई नींद। उपन्यास – अनचाहे दरवाज़े पर , जिसे खोजा (शीघ्र प्रकाश्य)। एकांकी – बुझ्झन। 1. दूर हम तुमसे जा नहीं सकते… Continue reading अभिज्ञात
अब्बास रज़ा अलवी
परिचय: फतेहगढ़ उत्तर प्रदेश में जन्मे अब्बास रज़ा अलवी ने फतेहगढ़, अलीगढ़ विश्वविद्यालय व मास्को में शिक्षा प्राप्त की। आजकल आस्ट्रेलिया के नागरिक अब्बास रज़ा अलवी सिडनी में आयात निर्यात का व्यवसाय कर रहे हैं। अस्ट्रेलिया में इंडिया चेम्बर आफ़ कामर्सके अध्यक्ष है। 1. फ़िसादो दर्द और दहशत में जीना मिला यह आदमी को आदमी सेबुरा… Continue reading अब्बास रज़ा अलवी
अब्बास अली “दाना”
1. जर्फसे बढके हो इतना नहीं मांगा जाता प्यास लगती है तो दरिया नहीं मांगा जाता चांद जैसी हो बेटी कीसी मुफलिसकी तो उंचे घरवालों से रिश्ता नहीं मांगा जाता अपने कमज़ोर बुज़ुर्गोंका सहारा मत लो सूखे पेडोंसे तो साया नहीं मांगा जाता है इबादत के लिये तो अकिदत शर्त दाना बंदगी के लिये सजदा… Continue reading अब्बास अली “दाना”