‘अज़ीज़’ हामिद मदनी

1.  ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई पा-ए-जुनूँ से हल्क़ा-ए-गर्दिश-ए-हाल ले गईजुरअत-ए-शौक़ के सिवा ख़लवतियाँ-ए-ख़ास को इक तेरे गम की आगही ता-ब-सवाल ले गईशोला-ए-दिल बुझा भुझा ख़ाक-ए-ज़बाँ उड़ी उड़ी दश्त-ए-हज़ार दाम से मौज-ए-ख़याल ले गई रात की रात बू-ए-गुल कूज़ा-ए-गुल में बस गई रंग-ए-हज़ार मै-कदा रूह-ए-सिफ़ाल ले गई तेज़ हवा की चाप… Continue reading ‘अज़ीज़’ हामिद मदनी