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कि पानी भी पिये तो लोग उसे शराब कहते हैं

तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है;
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है;
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों;
यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है!

मैं नहीं इतना घाफिल कि अपने चाहने वालों को भूल जाऊं;
पीता ज़रूर हूँ लेकिन थोड़ी देर यादों को सुलाने के लिए!

पीते थे शराब हम;
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर;
महफ़िल में गए थे हम;
यारों ने पिलाई उसकी कसम देकर।

गम इस कदर मिला कि घबराकर पी गए हम;
खुशी थोड़ी सी मिली, उसे खुश होकर पी गए हम;
यूं तो ना थे हम पीने के आदी;
शराब को तन्हा देखा, तो तरस खाकर पी गए हम।

हम अच्छे सही पर लोग ख़राब कहतें हैं;
इस देश का बिगड़ा हुआ हमें नवाब कहते हैं;
हम ऐसे बदनाम हुए इस शहर में;
कि पानी भी पिये तो लोग उसे शराब कहते हैं!