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बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे

बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे
शमशान में पिया करूंगा,
जब खुदा मांगेगा हिसाब
तो पैग बना के दिया करूंगा

पी के रात को हम उनको भुलाने लगे
शराब मे ग़म को मिलाने लगे
ये शराब भी बेवफा निकली यारो
नशे मे तो वो और भी याद आने लगे !

बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये;
कि वो आज नजरों से अपनी पिलायें;
मजा तो तब है पीने का यारो;
इधर हम पियें और नशा उनको आये।

मे तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती
मे जवाब बनता अगर तू सबाल होती
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर में भी पी लेता अगर तू शराब होती!