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मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है

मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है;
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात।

लानत है ऐसे पीने पर हज़ार बार;
दो घूंट पीकर ठेके पर ही लंबे पसर गये।
~ Amjad Jodhpuri

हर तरफ खामोशी का साया है;
जिसे चाहते थे हम वो अब पराया है;
गिर पङे है हम मोहब्बत की भूख से;
और लोग कहते है कि पीकर आया है।

शराब पी के रात को हम उनको भुलाने लगे;
शराब मे ग़म को मिलाने लगे;
ये शराब भी बेवफा निकली यारो;
नशे मे तो वो और भी याद आने लगे।

ग़म इस कदर बढे कि घबरा कर पी गया;
इस दिल की बेबसी पर तरस खा कर पी गया;
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना;
मैं आज सब जहां को ठुकरा कर पी गया!
~ Sahir Ludhianvi