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नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं

नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं;
कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं।

तनहइयो के आलम की ना बात करो जनाब;
नहीं तो फिर बन उठेगा जाम और बदनाम होगी शराब।

मैखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नही साकी;
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती।

मयखाने सजे थे, जाम का था दौर;
जाम में क्या था, ये किसने किया गौर;
जाम में गम था मेरे अरमानों का;
और सब कह रहे थे एक और एक और।

कुछ नशा तो आपकी बात का है;
कुछ नशा तो धीमी बरसात का है;
हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये;
इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है।