अछूत की शिकायत / हीरा डोम

हमनी के राति दिन दुखवा भोगत बानी हमनी के साहेब से मिनती सुनाइबि। हमनी के दुख भगवानओं न देखता ते, हमनी के कबले कलेसवा उठाइबि। पदरी सहेब के कचहरी में जाइबिजां, बेधरम होके रंगरेज बानि जाइबिजां, हाय राम! धसरम न छोड़त बनत बा जे, बे-धरम होके कैसे मुंहवा दिखइबि॥१॥ खंभवा के फारी पहलाद के बंचवले।… Continue reading अछूत की शिकायत / हीरा डोम