अब्दुल अहद ‘साज़’

1. मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना छोटी छोटी बातों में दिलचस्पी लेना जज़्बों के दो घूँट अक़ीदों[1] के दो लुक़मे[2] आगे सोच का सेहरा[3] है कुछ खा-पी लेना नर्म नज़र से छूना मंज़र की सख़्ती को तुन्द हवा से चेहरे की शादाबी[4] लेना आवाज़ों के शहर से बाबा! क्या मिलना है… Continue reading अब्दुल अहद ‘साज़’