Poetry Hub

मुद्दतों बाद एक खत चला है मेरे नाम से

मुद्दतों बाद एक खत चला है मेरे नाम से,
किसी ने पैगामे-ईश्‍क भेजा है मेरे नाम से।


शायद चल पड़े सिलसिला खत भेजने का,
आज पहला खत उसने भेजा है मेरे नाम से।


लिखते हैं जब वो खत चांदनी रातों में,
चांद उनके पहलू आता है मेरे नाम से।


हमें तो आरजू थी खतों के जवाब की,
सूखे गुलाब क्यूं भेजा है मेरे नाम से।


क्यूं लगा रखी है बंदिशें खत लिखने में,
खाली लिफाफा ही भेजा है मेरे नाम से।


वो मिलता नहीं शोहरतों के बाद भी,
शहर में मशहूर हुआ है मेरे नाम से।


मिल गया उसकी यादों को नया ठिकाना,
चांद पर उसका अक्स नजर आया मेरे नाम से।