छोड़ दोगी मेरा साथ यदि तुम प्रिये, इस जहाँ के अँधेरों में खो जाऊँगा। ढाँप लो जो मुझे नेह की छाँव में, बेखबर ज़िन्दगी से मैं हो जाऊँगा। तुम ही वीणा के तारों की झंकार हो, मेघ-मल्हार तुम ही हो आसावरी एक स्वर-लिपि तुम्हीं, और लय हो तुम्हीं ताल-संगीत की तुम हो जादूगरी तुम मेरी… Continue reading करवाचौथ पर विशेष गीत – Happy Karva Chauth
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खुदा / रात पश्मीने की / गुलज़ार
बुरा लगा तो होगा ऐ खुदा तुझे, दुआ में जब, जम्हाई ले रहा था मैं– दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं ! मैं जब से देख सुन रहा हूँ, तब से याद है मुझे, खुदा जला बुझा रहा है रात दिन, खुदा के हाथ में है सब बुरा भला– दुआ करो ! अजीब सा… Continue reading खुदा / रात पश्मीने की / गुलज़ार
फ़सादात /रात पश्मीने की / गुलज़ार
उफुक फलांग के उमरा हुजूम लोगों का कोई मीनारे से उतरा, कोई मुंडेरों से किसी ने सीढियां लपकीं, हटाई दीवारें– कोई अजाँ से उठा है, कोई जरस सुन कर! गुस्सीली आँखों में फुंकारते हवाले लिये, गली के मोड़ पे आकर हुए हैं जमा सभी! हर इक के हाथ में पत्थर हैं कुछ अकीदों के खुदा… Continue reading फ़सादात /रात पश्मीने की / गुलज़ार
कायनात / रात पश्मीने की / गुलज़ार
बस चन्द करोड़ों सालों में सूरज की आग बुझेगी जब और राख उड़ेगी सूरज से जब कोई चाँद न डूबेगा और कोई जमीं न उभरेगी तब ठंढा बुझा इक कोयला सा टुकड़ा ये जमीं का घूमेगा भटका भटका मद्धम खकिसत्री रोशनी में ! मैं सोचता हूँ उस वक्त अगर कागज़ पे लिखी इक नज़्म कहीं उड़ते… Continue reading कायनात / रात पश्मीने की / गुलज़ार
वक्त / रात पश्मीने की / गुलज़ार
मैं उड़ते हुए पंछियों को डराता हुआ कुचलता हुआ घास की कलगियाँ गिराता हुआ गर्दनें इन दरख्तों की,छुपता हुआ जिनके पीछे से निकला चला जा रहा था वह सूरज तआकुब में था उसके मैं गिरफ्तार करने गया था उसे जो ले के मेरी उम्र का एक दिन भागता जा रहा था वक्त की आँख… Continue reading वक्त / रात पश्मीने की / गुलज़ार