गुलजार लफ्जों को कुछ इस तरह से बुन देते हैं कि दिल की तह तक पहुँच जाते हैं| उनके लिखे अल्फ़ाज़ रोम-रोम में दौडने लगते है| ग़ुलज़ार की गली में हर नज़्म, हर हर्फ़ आपको अहसास दिलायेगी खुद के होने का; कभी आपके ज़ख्मों को कुरेदेगी तो कभी ज़ख्मों को सीयेगी भी|अल्फ़ाजों से अहसासों तक पहुंचती इस गली में आपका स्वागत है|
फ़सादात /रात पश्मीने की / गुलज़ार

कायनात / रात पश्मीने की / गुलज़ार

वक्त / रात पश्मीने की / गुलज़ार

गुलज़ार की बोस्की /Gulzar Ki Boski

नज़म उलझी हुई है सीने में
किसी मौसम का झौंका था (Raincoat) by Gulzar
सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की (त्रिवेणी )

गुलज़ार की बेहतरीन नज़्में | Gulzar Poetry

तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बस खर्च करने की तमन्ना है !
