रोते हुए आते है न सब हंसता हुआ जो जाएगा
वो मुक़द्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा
वो सिकंदर क्या था ज़िसने ज़ुल्म से जीता ज़हां
प्यार से जीते दिलो को वो झुका दे आसमा
जो सितारो पर कहानी प्यार की लिख जाएगा
वो मुक़द्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा
ज़िंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी
मर के ज़ीने की अदा जो दुनिया को सिखलाएगा
वो मुक़द्दर का सिकंदर…
हमने माना ये ज़माना दर्द की जागीर है
हर कदम पे आँसुओं की इक नई ज़ंज़ीर है
आए दिन पर जो खुशी के गीत गाता जाएगा
वो मुक़द्दर कॅया सिकंदर…