ठुकराओ अब के प्यार करो मैं नशे मैं हूँ जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे मैं हूँ अब भी दिला रहा हूँ यकीने वफ़ा मगर, मेरा न ऐतबार करो मैं नशे में हूँ गिरने दो तुम मुझे मेरा सागर संभाल लो, इतना तो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ मुझको क़दम-क़दम पे बहकने… Continue reading ठुकराओ अब के प्यार करो मैं नशे मैं हूँ | शाहिद कबीर |Main Nashe Mein Hoon |Jagjit Singh
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लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ |log kahate hai mai sharaabii huu | Sharaabi Movie | Amitabh Bachchan
लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ तुमने भी शायद यही सोच लिया हां … लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ | किसी पे हुस्न का गुरूर जवानी का नशा किसी के दिल पे मोहब्बत की रवानी का नशा किसी को देखे साँसों से उभरता है नशा बिना पिये भी कहीं हद से गुज़रता है नशा… Continue reading लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ |log kahate hai mai sharaabii huu | Sharaabi Movie | Amitabh Bachchan
Gulzar – Ek Laash – Narreted By Yashpal Sharma Lyrics Gulzar
The video was created for Independence Day special on CNN IBN in 2008. This is one of the poems from Gulzars many masterpieces. It is written by Gulzar and narrated by Yashpal Sharma.
वो मुक़द्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा
रोते हुए आते है न सब हंसता हुआ जो जाएगा वो मुक़द्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा वो सिकंदर क्या था ज़िसने ज़ुल्म से जीता ज़हां प्यार से जीते दिलो को वो झुका दे आसमा जो सितारो पर कहानी प्यार की लिख जाएगा वो मुक़द्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा ज़िंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी… Continue reading वो मुक़द्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा
khat
Meraa Khat Us Ne Padhaa Padh Ke Naama-Bar Se Kahaa Yahi Javaab Hai Is Khat Kaa Koi Javaab Nahin [Ameer Minai] Tumhaare Khat Mein Nayaa Ik Salaam Kis Kaa Thaa Na Thaa Raqib To Aakhir Vo Naam Kis Kaa Thaa Aap Kaa Khat Nahin Milaa Mujh Ko Daulat-E-Jahaan Mili Mujh Ko [Aseer Lucknawi] Kya Kya… Continue reading khat
गुलज़ार की बोस्की /Gulzar Ki Boski
बोस्की ब्याहने का समय अब करीब आने लगा है जिस्म से छूट रहा है कुछ कुछ रूह में डूब रहा है कुछ कुछ कुछ उदासी है,सुकूं भी सुबह का वक्त है पौ फटने का, या झुटपुटा शाम का है मालूम नहीं यूँ भी लगता है कि जो मोड़ भी अब आएगा वो किसी और… Continue reading गुलज़ार की बोस्की /Gulzar Ki Boski
Munawwar Rana Shayari on ‘Maa’ | ‘माँ’ पर शायरी
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना Maine rote hue ponchhe the kisi din aansoo Muddaton Maa ne nahi dhoya dupatta apna ***** लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती Labon pe uske kabhi baddua nahi hoti Bas… Continue reading Munawwar Rana Shayari on ‘Maa’ | ‘माँ’ पर शायरी