बोतलें खोल कर तो पी बरसों

न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है; अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है। ~ Faiz Ahmad Faiz मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा उसकी आँखों के मैखाने में; दुनिया मुझे आज तक नशे का आदि समझती है। आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’; जब पी चुके शराब… Continue reading बोतलें खोल कर तो पी बरसों

ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था

ग़म इस कदर मिला कि घबरा के पी गए; ख़ुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए; यूँ तो ना थे जन्म से पीने की आदत; शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए। ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था; हमे तो सिर्फ नज़र मिलाने का शौक था;… Continue reading ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था

नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं

नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं; कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं। तनहइयो के आलम की ना बात करो जनाब; नहीं तो फिर बन उठेगा जाम और बदनाम होगी शराब। मैखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नही साकी; ये शराब मेरा गम… Continue reading नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं

मौसम भी है, उम्र भी, शराब भी है

बड़ी भूल हुई अनजाने में, ग़म छोड़ आये महखाने में; फिर खा कर ठोकर ज़माने की, फिर लौट आये मयखाने में; मुझे देख कर मेरे ग़म बोले, बड़ी देर लगा दी आने में। मौसम भी है, उम्र भी, शराब भी है; पहलू में वो रश्के-माहताब भी है; दुनिया में अब और चाहिए क्या मुझको; साक़ी… Continue reading मौसम भी है, उम्र भी, शराब भी है

यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं ​है ​मेरा

यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं ​है ​मेरा​;​ ​​शराब से…​ इश्क की राहों में तन्हा मिली ​ तो;​​​ हमसफ़र बन गई…….​ उम्र भर भी अगर सदाएं दें; बीत कर वक़्त फिर नहीं मरते; सोच कर तोड़ना इन्हें साक़ी; टूट कर जाम फिर नहीं जुड़ते। ~ Syed Abdul Hameed Adam यह शायरी लिखना उनका काम… Continue reading यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं ​है ​मेरा

नफरतों का असर देखो जानवरों का बटंवारा हो गया

पी के रात को हम उनको भुलाने लगे; शराब मे ग़म को मिलाने लगे; ये शराब भी बेवफा निकली यारो; नशे मे तो वो और भी याद आने लगे। मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती; मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती; सब जानते हैं मैं नशा नही करता; मगर मैं भी पी लेता… Continue reading नफरतों का असर देखो जानवरों का बटंवारा हो गया

मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है

मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है; करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात। लानत है ऐसे पीने पर हज़ार बार; दो घूंट पीकर ठेके पर ही लंबे पसर गये। ~ Amjad Jodhpuri हर तरफ खामोशी का साया है; जिसे चाहते थे हम वो अब पराया है; गिर पङे है… Continue reading मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है

थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी

बोतल पे बोतल पीने से क्या फायदा, मेरे दोस्त; रात गुजरेगी तो उतर जाएगी! पीना है तो सिर्फ एक बार किसी की बेवफाई पियो; प्यार की कसम, उम्र सारी नशें में गुजर जाएगी! मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती! मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती! सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता, फिर… Continue reading थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी

कि पानी भी पिये तो लोग उसे शराब कहते हैं

तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है; खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है; फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों; यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है! मैं नहीं इतना घाफिल कि अपने चाहने वालों को भूल जाऊं; पीता ज़रूर हूँ लेकिन थोड़ी देर यादों को सुलाने के लिए! पीते थे… Continue reading कि पानी भी पिये तो लोग उसे शराब कहते हैं

मिट्टी का तन,मस्ती का मन

मिट्टी का तन,मस्ती का मन, क्षण भर जीवन-मेरा परिचय ! १. कल काल-रात्रि के अंधकार में थी मेरी सत्ता विलीन, इस मूर्तिमान जग में महान था मैं विलुप्त कल रूप-हीं, कल मादकता थी भरी नींद थी जड़ता से ले रही होड़, किन सरस करों का परस आज करता जाग्रत जीवन नवीन ? मिट्टी से मधु का पात्र… Continue reading मिट्टी का तन,मस्ती का मन