मुकरियाँ / अमीर खुसरो

– अमीर खुसरो रात समय वह मेरे आवे। भोर भये वह घर उठि जावे॥ यह अचरज है सबसे न्यारा। ऐ सखि साजन? ना सखि तारा॥ नंगे पाँव फिरन नहिं देत। पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत॥ पाँव का चूमा लेत निपूता। ऐ सखि साजन? ना सखि जूता॥ वह आवे तब शादी होय। उस बिन दूजा… Continue reading मुकरियाँ / अमीर खुसरो