अज्ञात शायर

मेरी जाँ गो तुझे दिल से भुलाया जा नहीं सकता मगर ये बात मैं अपनी ज़ुबां पर ला नहीं सकता तुझे अपना बनाना मोजिब-ए-राहत समझकर भी तुझे अपना बना लूँ ये तसव्वुर ला नहीं सकता हुआ है बारहा एहसास मुझको इस हक़ीक़त का तेरे नजदीक रह कर भी मैं तुझको पा नहीं सकता मेरे दस्ते… Continue reading अज्ञात शायर