‘अज़हर’ इनायती

1. ख़त उस के अपने हाथ का आता नहीं कोई क्या हादसा हुआ है बताता नहीं कोई. गुड़िया जवान क्या हुईं मेरे पड़ोस की आँचल में जुगनुओं को छुपाता नहीं कोई. जब से बता दिया है नुजूमी ने मेरा नाम अपनी हथेलियों को दिखाता नहीं कोई. कुछ इतनी तेज़ धूप नए मौसमों की है बीती… Continue reading ‘अज़हर’ इनायती