मिर्जा…साहिबान पंजाब के चार मशहूर त्रासद प्रेम कथाओं में शामिल है। तीन अन्य हैं हीर…रांझा, सोहिनी…महिवाल और शशि…पुन्नून। मिर्जा…साहिबान एकमात्र ऐसी प्रेम कथा है जहां नायिका ने अपने परिवार को बचाने के लिए अपने प्रेमी की कुर्बानी दे दी।
साहिबा ने तीर क्यों तोड़ दिए?
जब साहिबा के प्रेम के बारे में उसके भाइयों को पता चला तो उस पर बंदिश लगाने लगे। साहिबा की शादी किसी और के साथ तय कर दी। जिस रात साहिबा की शादी होने वाली थी उसी रात मिर्जा के साथ साहिबा भाग गई।
बहुत दूर निकल जाने के बाद दोनों थोड़ा आराम करने के लिए रुके। मिर्जा को नींद आ गई। इधर साहिबा को अपने भाइयों की चिंता सताने लगी। चिंता ये कि अगर उसके भाइयों ने उनको पकड़ लिया तो मिर्जा उन्हें मार डालेगा। उसे चिंता होने लगी कि उसके भाइयों की बीवियां विधवा हो जाएगी और बच्चे अनाथ हो जाएंगे। भाइयों को मरवाकर वह मिर्जा के साथ कैसे खुश रह पाएगी।
यही सोचते सोचते उसने खतरनाक फैसला लिया। उसने मिर्जा के सारे तीर तोड़कर फेंक दिए। तब तक साहिबा के भाई वहां आ पहुंचे। मिर्जा ने पाया कि उसके तीर गायब हैं और वो तलवार से लड़ते लड़ते बुरी तरह घायल हो गया। तब साहिबा मरते मिर्जा को धोखा करने की बात बताकर रोने लगी लेकिन मरते मरते मिर्जा ने उसे माफ कर दिया।
उसके बाद साहिबा मरी या नहीं इस बारे में दो तरह की कहानी है। एक कहानी में साहिबा वहीं मिर्जा के तलवार से खुद को मार लेती है। लेकिन दूसरी कहानी के मुताबिक साहिबा से मिर्जा मरते मरते वादा लेता है कि वह जिंदा रहेगी। साहिबा जिंदा रहती है। उसकी शादी बच्चे सब होते हैं। लेकिन वह पति में भी मिर्जा को ही देखती है। इसलिए ये कहा जाता है – मन मिर्जा तन साहिबा।
इश्क में साहिबा का जिस्म तो उसका ही था लेकिन उसका मन मिर्जा था। साहिबा की आदत अपनी खुशी से ज्यादा दूसरों की खुशी देखने की थी। उसने भाइयों की खुशी के लिए अपने आशिक को मरवा दिया। यह बात मिर्जा समझता था इसलिए साहिबा का यह धोखा उसे धोखा नहीं लगा। अजीब कहानी है न !
TEEN GAWAH ISHQ KE
आकाश दे पार अब कुछ नहीं
आकाश ते तू और मैं
ता ना ना ना..
तीन गवाह हैं इश्क़ के
इक रब है, एक तू और मैं
सुन ज़रा किस लिए गूंजती है ज़मीन
हो..
आसमान दास्ताँ सुन रहा है कहीं
हो..
तीन गवाह हैं इश्क़ के
इक रब है, एक तू और मैं
ता ना ना..
आसमान खोल के देखने दो
उस तरफ़ शायद एक और भी हो
चलना रब कोई
राह ना देखता हो
रूह को रूह से जुड़ने दे
इश्क़ की खुशबू उड़ने दे
ख़्वाब था ख़्वाब है
ख़्वाब में रहने दो
आसमान दास्ताँ सुन रहा है कहीं
हो..
तीन गवाह हैं इश्क़ के
इक रब है, एक तू और मैं
तीन गवाह हैं इश्क़ के
इक रब है, एक तू और मैं
Ek Nadi Thi
थाम के बहती थी
एक नदी थी…
एक नदी थी कोई किनारा छ्चोड़ ना सकती थी
एक नदी थी 5
तोड़ती तो सैलाब आ जाता
तोड़ती तो सैलाब आ जाता
करवट ले तो सारी ज़मीन बह जाती
एक नदी थी..
एक नदी थी दोनो किनारे
थाम के बहती थी
एक नदी थी दोनो किनारे
थाम के बहती थी
एक नदी थी….
आज़ाद थी जब झरने की तरह
झरने की तरह..
आज़ाद थी जब झरने की तरह
झरने की तरह..
झरने की तरह..
झरने की तरह..
एम्म.. आज़ाद थी जब झरने की तरह
चट्टानो पे बहती थी
एक नदी थी..
एक नदी थी..
एक नदी थी दोनो किनारे
थाम के बहती थी
एक नदी थी…
ह्म.. दिल एक ज़ालिम
हाकिम था वो
उसकी ज़ंजीरों में रहती थी
एक नदी थी..
ह्म.. दिल एक ज़ालिम हकीम था वो
उसकी ज़ंजीरों में रहती थी
उसकी ज़ंजीरों पे रहती थी
एक नदी थी..
एक नदी थी दोनो किनारे
एक नदी थी दोनो किनारे
थाम के बहती थी
एक नदी थी..
एक नदी थी कोई किनारा छ्चोड़ ना सकती थी
एक नदी थी…
एक नदी थी दोनो किनारे…
एक नदी थी..