कासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूं
मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जावाब में
कैसे मानें कि उन्हे भूल गया तू ऐ ‘कैफ़’
उअन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले
क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज्तिराब में
उन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में
अपना खत आप दिया उन को मगर ये कह कर
खत तो पहचानिए ये खत मुझे गुमनाम मिला
अंधेरा है कैसे तिरा खत पढ़ूं
लिफ़ाफ़े में जरा रोशनी भेज दे