जब जयशंकर प्रसाद कहते है – नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में, पीयूष-स्रोत बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। तो नारी का एक भारतीय संस्करण आंखो के सामने खींच जाता है, जिसमें वह हमेशा पुरुष पर निर्भर रहती है; चाहे वह भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए हो या फिर सुरक्षा के लिए| हर… Continue reading सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे|