बशीर बद्र
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अभी इस तरफ़ न निगाह कर, मैं ग़ज़ल की पलकें संवार लूँ
अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार…
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कभी यूँ भी आ मेरी आँख में, के मेरी नज़र को ख़बर न हो
कभी यूँ भी आ मेरी आँख में, कि मेरी नज़र को ख़बर न हो मुझे एक रात नवाज़ दे,…
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