अतीक उल्लाह

1. क्या तुम ने कभी ज़िंदगी करते हुए देखा मैं ने तो इसे बार-हा मरते हुए देखा पानी था मगर अपने ही दरिया से जुदा था चढ़ते हुए देखा न उतरते हुए देखा तुम ने तो फ़क़त उस की रिवायत ही सुनी है हम ने वो ज़माना भी गुज़रते हुए देखा याद उस के वो… Continue reading अतीक उल्लाह