अब्दुल हमीद आदम

1. आप अगर हमको मिल गये होते बाग़ में फूल खिल गये होते आप ने यूँ ही घूर कर देखा होंठ तो यूँ भी सिल गये होते काश हम आप इस तरह मिलते जैसे दो वक़्त मिल गये होते हमको अहल-ए-ख़िरद मिले ही नहीं वरना कुछ मुन्फ़ईल गये होते उसकी आँखें ही कज-नज़र थीं “आदम”… Continue reading अब्दुल हमीद आदम