करवाचौथ पर विशेष गीत – Happy Karva Chauth

छोड़ दोगी मेरा साथ यदि तुम प्रिये, इस जहाँ के अँधेरों में खो जाऊँगा। ढाँप लो जो मुझे नेह की छाँव में, बेखबर ज़िन्दगी से मैं हो जाऊँगा। तुम ही वीणा के तारों की झंकार हो, मेघ-मल्हार तुम ही हो आसावरी एक स्वर-लिपि तुम्हीं, और लय हो तुम्हीं  ताल-संगीत की तुम हो जादूगरी  तुम मेरी… Continue reading करवाचौथ पर विशेष गीत – Happy Karva Chauth

सिंह गर्जना

अपनी ही धरती माँ की गोद  में कुछ  वीर  सोये थे  लग रहे थे जैसे  कुछ  खोए  – खोए से  चेहरे पे खेल  रहा था  उनका भोलापन सपने हजारों आंखों  से उनकी  झलक  रहे  आवाज दी उन्हें तो जवाब ना आया  सोचा  शायद गहरी नींदो में  होंगे  जब पास जाकर देखा तो मालूम  ये  हुआ  अब कभी  न… Continue reading सिंह गर्जना

अपाहिज व्यथा

अपाहिज व्यथा को सहन कर रहा हूँ, तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा हूँ । ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है, इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ । अँधेरे में कुछ ज़िंदगी होम कर दी, उजाले में अब ये हवन कर रहा हूँ । वे संबंध अब तक बहस में टँगे हैं, जिन्हें… Continue reading अपाहिज व्यथा

Best of Gulzar

जहां तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे हँसे तो दो गालों में भँवर पड़ा करते थे तेरी कमर के बल पे नदी मुड़ा करती थी हंसी को सुनके तेरी फ़सल पका करती थी छोड़ आए हम वो गलियां Where your lotus-like feet used to tread And your dimples would resembles storms when you smiled… Continue reading Best of Gulzar

इस सड़क पर इस क़दर कीचड़ बिछी है

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए

मैं भूल जाऊं तुम्हें अब यही मुनासिब है

दूर जाने की कोशिशों में हैं