छोड़ दोगी मेरा साथ यदि तुम प्रिये, इस जहाँ के अँधेरों में खो जाऊँगा। ढाँप लो जो मुझे नेह की छाँव में, बेखबर ज़िन्दगी से मैं हो जाऊँगा। तुम ही वीणा के तारों की झंकार हो, मेघ-मल्हार तुम ही हो आसावरी एक स्वर-लिपि तुम्हीं, और लय हो तुम्हीं ताल-संगीत की तुम हो जादूगरी तुम मेरी… Continue reading करवाचौथ पर विशेष गीत – Happy Karva Chauth
Category: Contemporary Hindi-Urdu Poetry
सिंह गर्जना
अपनी ही धरती माँ की गोद में कुछ वीर सोये थे लग रहे थे जैसे कुछ खोए – खोए से चेहरे पे खेल रहा था उनका भोलापन सपने हजारों आंखों से उनकी झलक रहे आवाज दी उन्हें तो जवाब ना आया सोचा शायद गहरी नींदो में होंगे जब पास जाकर देखा तो मालूम ये हुआ अब कभी न… Continue reading सिंह गर्जना
Kinaro par sagar ke khazane nahi aate
Kinaro Par Sagar Ke Khazane Nahi Aate, Phir Jivan Me Dost Purane Nahi Aate, Jee Lo In Palon Ko Has Ke Janaab, Fir Laut Ke Dosti Ke Zamane Nahi Aate.
अपाहिज व्यथा
अपाहिज व्यथा को सहन कर रहा हूँ, तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा हूँ । ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है, इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ । अँधेरे में कुछ ज़िंदगी होम कर दी, उजाले में अब ये हवन कर रहा हूँ । वे संबंध अब तक बहस में टँगे हैं, जिन्हें… Continue reading अपाहिज व्यथा
Best of Gulzar
जहां तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे हँसे तो दो गालों में भँवर पड़ा करते थे तेरी कमर के बल पे नदी मुड़ा करती थी हंसी को सुनके तेरी फ़सल पका करती थी छोड़ आए हम वो गलियां Where your lotus-like feet used to tread And your dimples would resembles storms when you smiled… Continue reading Best of Gulzar
इस सड़क पर इस क़दर कीचड़ बिछी है
वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए