Womens Day Poetry in Hindi वह कहता था, वह सुनती थी, जारी था एक खेल कहने-सुनने का। खेल में थी दो पर्चियाँ। एक में लिखा था ‘कहो’, एक में लिखा था ‘सुनो’। अब यह नियति थी या महज़ संयोग? उसके हाथ लगती रही वही पर्ची जिस पर लिखा था ‘सुनो’। वह सुनती रही। उसने सुने आदेश। उसने सुने… Continue reading महिला दिवस पर विशेष कविता : Women’s Day Poetry/Quotes