भगवतीचरण वर्मा
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आज मानव का सुनहला प्रात है
आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है; आज अलसित और मादकता-भरे, सुखद सपनों से शिथिल…
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आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है; आज अलसित और मादकता-भरे, सुखद सपनों से शिथिल…
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