सिंह गर्जना

अपनी ही धरती माँ की गोद  में कुछ  वीर  सोये थे  लग रहे थे जैसे  कुछ  खोए  – खोए से  चेहरे पे खेल  रहा था  उनका भोलापन सपने हजारों आंखों  से उनकी  झलक  रहे  आवाज दी उन्हें तो जवाब ना आया  सोचा  शायद गहरी नींदो में  होंगे  जब पास जाकर देखा तो मालूम  ये  हुआ  अब कभी  न… Continue reading सिंह गर्जना