यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा;
शराब से…
इश्क की राहों में तन्हा मिली तो;
हमसफ़र बन गई…….
उम्र भर भी अगर सदाएं दें;
बीत कर वक़्त फिर नहीं मरते;
सोच कर तोड़ना इन्हें साक़ी;
टूट कर जाम फिर नहीं जुड़ते।
~ Syed Abdul Hameed Adam
यह शायरी लिखना उनका काम नहीं;
जिनके दिल आँखों में बसा करते हैं;
शायरी तो वो शख्श लिखता है;
जो शराब से नहीं कलम से नशा करता है।
रात चुप चाप है पर चाँद खामोश नहीं;
कैसे कह दूँ कि आज फिर होश नहीं;
ऐसा डूबा हूँ मैं तुम्हारी आँखों में;
हाथ में जाम है पर पीने का होश नहीं।
तोहफे में मत गुलाब लेकर आना;
मेरी क़ब्र पर मत चिराग लेकर आना;
बहुत प्यासा हूँ अरसों से मैं;
जब भी आना शराब लेकर आना