ग़म इस कदर मिला कि घबरा के पी गए;
ख़ुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए;
यूँ तो ना थे जन्म से पीने की आदत;
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए।
ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था;
हमे तो सिर्फ नज़र मिलाने का शौक था;
पर क्या करे यारो, हम नज़र ही उनसे मिला बैठे;
जिन्हें सिर्फ नज़रों से पिलाने का शौक था।
फिर ना पीने की कसम खा लूँगा;
साथ जीने की कसम खा लूँगा;
एक बार अपनी आँखों से पिला दे साकी;
शराफत से जीने की कसम खा लूँगा।
मैं उनकी आँखो से छलकती शराब पीता हूँ;
गरीब हो कर भी मँहगी शराब पीता हूँ;
मुझे नशे में वो बहकने नहीं देते;
उन्हें तो खबर ही नहीं कि मैं कितनी शराब पीता हूँ।